Patthar Ki Radha Pyari – Bhajan By Devakinandan Thakurji

पत्थर की राधा प्यारी पत्थर के कृशन मुरारी,
पत्थर से पत्थर घिस के पैदा होती चिंगारी,
पत्थर की नार अहिल्या, पग से श्री राम ने तारी,
पत्थर के मत पे बैठी मैया हुमारी,

चौदह बरस बनवास मेी भेजा, राम लखन सीता को,
पत्थर रख सिने दसरत ने,
पुत्रा जुदाई का भी पत्थर सहा मा देवकी ने,
कैसी लीला रची कुद्रट ने,
पत्थर धनने को मिला, जिसमे ठाकुर बसा,
पत्थर के जगह जगह पे भोले भंडारी,

नाल और नील जो पत्थर लाए, राम लिखा पत्थर पे,
पत्थर पानी बीच भाहाए,
टायर गये पत्थर पानी मेी राम सेतु के आए,
मेरे राम बहुत हरषाए,
पत्थर जाग मेी महान,इसको पूजे जहाँ,
इसकी तो पूजा करती यह दुनिया सारी,

ले हनुमान उड़े जब पत्थर संजीवनी ले आए,
सारे वीर पुरुष हरषाए,
वो ही पत्थर ब्रिज भूमि मेी, गोवर्धन कहलाए,
जो है उंगली बीच उठाए,
मंदिरो मेी भी ट यही पत्थर जुड़े,
पत्थर की नाव मेी देखो पट्तर पटवारी,

पत्थर की राधा प्यारी पत्थर के कृशन मुरारी,
पत्थर से पत्थर घिस के पैदा होती चिंगारी,
पत्थर की नार अहिल्या, पग से श्री राम ने तारी,
पत्थर के मत पे बैठी मैया हुमारी,

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